Monday, February 15, 2010

Need to do something more then "something"

वर्तमान समय की अत्यधिक गंभीर समस्या विश्व का दिनोदिन बढता तापमान तथाकथित 'ग्लोबल वार्मिंग ' है , सम्पूर्ण विश्व के वैज्ञानिक इसके दुश्परिणामो की दिन प्रतिदिन चर्चा कर रहे , कुछ समय पूर्व हुआ या यह कहा जाये मानवता को बचाने का जो १ प्रयास असफल हुआ अपनी परिस्थिति के रूप में स्वयं व्यक्त करता है की विकसित राष्ट्र जो co2 नामक राक्षस के सर्वाधिक पालनहार है .. मानवता को समाप्त करने के प्रति कितने जुझारू है.. समय की कैसी विडम्ब्ना है की आज अपनी धरती माँ को बचाने क लिए अरर्बो की जनसँख्या में कोई १ सच्चा सुपुत्र नहीं है.. अरबो क प्राकर्तिक संसाधन और करोडो की कमाई कर चुके उद्योद्पति अपनी संपदा सागर की कुछ बुँदे छलकाकर कार्पोरेट सोसिअल रेस्पोंसिबिलिटी का दम भरते है किन्तु क्या १ भी सटीक प्रयास अभी तक किया गया ? मेरा यहाँ प्रश्न है हर उस व्यक्ति से जो आज इस पृथिवी पर जन्म ले चुका है की क्या किया है उसने इस धरती माँ को बचने क लिए.. ?अगर अभी भी प्रयत्न नहीं किए गए तो कुछ समय बाद कोई आवश्यकता नहीं रहेगी कुछ भी कदम उठाने की..........

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